New Delhi: लांस नायक करम सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले प्रथम जीवित भारतीय सैनिक थे. वह पिता की तरह किसान बनना चाहते थे, लेकिन अपने गांव के प्रथम विश्व यु’द्ध के दिग्गजों की कहानियों से प्रेरित होने के बाद सेना में शामिल होने का फैसला किया. सेना में शामिल होकर अपनी देशभक्ति ऐसी दिखाई कि अंतिम सांस तक देश सेवा करते रहे.
उन्होंने भारत-पाकिस्तान यु’द्ध 1947 में भी लड़ा था जिसमे टिथवाल के दक्षिण में स्थित रीछमार गली में एक अग्रेषित्त पोस्ट को बचाने में उनकी सराहनीय भूमिका के लिए सन 1948 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. वह पहले ऐसे जीवित सैनिक थे, जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
वह 1947 में आजादी के बाद पहली बार भारतीय ध्वज को उठाने के लिए चुने गए पांच सैनिकों में से एक थे.. श्री सिंह बाद में सूबेदार के पद पर पहुंचे और सितंबर 1969 में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें मानद कैप्टन का दर्जा मिला.
करम सिंह का जन्म 15 सितंबर 1915 को ब्रिटिश भारत के पंजाब में बरनाला जिले के सेहना गांव में एक सिख जाट परिवार में हुआ था. 1941 में अपने गांव में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह सेना में शामिल हो गए. एक युवा, युद्ध-सुसज्जित सिपाही के रूप में उन्होंने अपनी बटालियन में साथी सैनिकों से सम्मान अर्जित किया.
13 अक्टूबर की रात को रीछमार गली पर भ’यानक लड़ा’ई के दौरान लांस नायक करम सिंह 1 सिख की अग्रिम टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे..लगातार पाकिस्तानी गो’लीबा’री में श्री सिंह ने घा’यल होते हुए भी साहस नहीं खोया और एक और सैनिक की सहायता से वह दो घायल हुए सैनिकों को साथ लेकर आए थे.
यु’द्ध के दौरान श्री सिंह एक स्थिति से दूसरी स्थिति पर जाते रहे और जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए ग्रे’नेड फें’कते रहे. दो बार घा’यल होने के बावजूद उन्होंने निकासी से इ’नकार कर दिया और पहली पंक्ति की लड़ाई को जारी रखा…
पाकिस्तान की ओर से पांचवें हमले के दौरान दो पाकिस्तानी सैनिक श्री सिंह के करीब आ गए.. मौका देखते ही श्री सिंह खाई से बाहर उनपर कूद पड़े और संगीन (बैनट) से उनका व.ध कर दिया जिससे पाकिस्तानी काफी हता.श हो गए। इसके बाद उन्होंने तीन और हम.लों को नाकाम किया और सफलतापूर्वक दुश्मन को पीछे हटा दिया..
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