New Delhi: यह बात है 1997-98 की. जब इंद्र कुमार गुजराल भारत के प्रधानमंत्री थे. हालांकि, उस समय उन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में लोगों के खूब ताने सुनाया करते थे. इन्हीं तानों से बचने के लिए उन्होंने ये फैसला लिया कि वह पूरी दुनिया को दिखाएंगे कि उनकी पार्टी सुरक्षा को कितना महत्व देती है. इसके बाद ही उन्होंने मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया था.

दरअसल, 1952 में सीवी रमन को छोड़कर और किसी भी वैज्ञानिक को इस पुरस्कार के लायक नहीं समझा गया था. हालांकि, जब इस बात की खबर एपीजी अब्दुल कलाम जी के पास पहुंची तब वो काफी खुश थे, लेकिन वह काफी नर्वस थे. नर्वस इसलिए क्योंकि उनके पास समारोह में पहनकर जाने के लिए न तो अच्छे सूट थे और ना ही अच्छे जूते. यह बात उन्होंने अपने कलिग और महान रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन से बताया.
अब्दुल कलाम की बातें सुनकर सतीश धवन हंस पड़े और कहा कि तुम पहले से ही सफलता के सूट पहने हुए हो. इसलिए तुम्हें दिखावे की कोई जरूरत नहीं. तुम जिस भी हालत में हो वैसे ही समारोह में पहुंचो. हालांकि, एपीजे अब्दुल कमाल ने जुगाड़ करके अपने लिए सूट तो बनवा लिया, लेकिन वह उस सूट में बिल्कुल भी कंफरटेबल नहीं थे, वह अपने टाई को बार-बार हाथ लगा रहे थे.
यह बात आपको पता न हो लेकिन हम आपको बता देते हैं कि एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा चमड़ों के जूतों की जगह पर स्पोर्ट्स शूज पहनना पसंद करते थे.

एक बार की बात है जब इंदिरा गांधी ने अब्दुल कलाम का परिचय अटल बिहारी वाजपेयी जी से कराया लेकिन परिचय के समय उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाय गले लगा लिया. अटल बिहारी बाजपेयी जी ने तब कहा था- अब्दुल कलाम ना तो हिंदु हैं और ना ही मुसलमान है वह तो एक भारतीय और वैज्ञानिक महान हैं.
जब दूसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने कलाम जी को मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता दिया. हालांकि, कलाम जी ने बड़े विनम्रतापूर्व अटल जी से मिलकर इस पद को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा- न्यूकलियर टेस्टिंग अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है. वह इस तरह देश की बेहतर सेवा कर सकते हैं.
इस वाकये के दो महीने बाद भारत ने न्यूकलियर बम परीक्षण किया था. इस उपलब्धि में कलाम जी का बहुत बड़ा योगदान था. इसके बाद साल 2002 में अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति बने. एक बार की बात है जब एपीजे अब्दुल कलाम अपने परिवार वालों को एक दिन के लिए राष्ट्रपति भवन में ठहराना चाहते थे, तब उन्होंने खुद के अकाउंट से साढ़े तीन लाख रूपए का चेक काटा था. ऐसे नेता बहुत कम होते हैं जो शायद ही हमें दोबारा मिले. देशप्रम के साथ साथ डॉ कलाम को पशु और पक्षियों से भी बेहद प्रेम था.

एक बार की बात है जब कलाम जी राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में टहल रहे थे, तब उन्होंने वहां एक मोर को घूमते हुए देखा था, जो ठीक से मुंह तक नहीं खोल पा रहा था. ये देखकर कलाम जी ने तुरंत डॉ को फोन लगाया. डॉ ने बताया कि मोर को ट्यूमर है. जिसके बाद मोर का ऑपरेशन कर ट्यूमर निकाला गया. मोर बिल्कुल ठीक हो चुका था. उसका इलाज करके उसे मुगल गार्डन में ही छोड़ दिया गया. अब्दुल कलाम एक ऐसे नेता थे, जो मुसलमान होकर भी गीता पढ़ते हुए अक्सर देखा जाता था. इस खबर से आपको ये बात तो पता चल गई होगी कि हमारे डॉ कलाम जैसा कोई नहीं.