New Delhi: आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जनशताब्दी है. आज उनकी जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने उनकी स्मृति में 100 का सिक्का जारी किया. उन्होंने कहा कि-राजमाता ने साबित किया कि जनप्रतिनिधि के लिए राजनीति नहीं बल्कि जनसेवा सबसे प्रमुख है.
वह एक परिवार की राजमाता थीं. राजशाही परंपरा से थी, लेकिन उन्होंमे संघर्ष किया तो लोकतंत्र की रक्षा के लिए… हमसे से बहुत से लोग इमरजेंसी के दौरान अपनी बेटियों को चिट्ठी लिखी थी.. उनमें से राजमाता एक थीं.
आपातकाल के दौरान तिहाड़ से लिखी राजमाता की चिट्ठी को याद कर पीएम मोदी भावुक हुए. उन्होंने कहा- चिट्ठी में जो लिखा था उसमें बहुत बड़ी सीख थी. उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि-अपनी भावी पीढ़ीओं को सीना तानकर जीने की प्रेरणा मिली.
इस उद्देश्य से हमें आज की विपदा को धैर्य के साथ झेलना चाहिए. राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था. देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने सब सुख त्याग दिया था. देश की भावी पीढ़ी के लिए सुख त्यागने वाली #RajmataScindia ने पद और प्रतिष्ठा के लिए ना जीवन जिया ना कभी वो राजनीति का रास्ता चुना.
भारत को दिशा देने वाले व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं. राजमाता केवल वात्सल्यमूर्ति ही नहीं, वो एक निर्णायक नेता और कुशल प्रशासक भी थीं..स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं.
राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं। साधना, उपासना, भक्ति उनके अन्तर्मन में रची-बसी थी..लेकिन जब वो भगवान की उपासना करती थीं, तो उनके मंदिर में एक चित्र भारत माता का भी होता था..भारत माता की भी उपासना उनके लिए वैसी ही आस्था का विषय था.
सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध भारत राजमाता जी का सपना था..उनके इन सपनों को हम आत्मनिर्भर भारत की सफलता से पूरा करेंगे. राजमाता की प्रेरणा हमारे साथ है, उनका आशीर्वाद हमारे साथ है. नारी शक्ति के बारे में वो विशेष तौर पर कहती थीं कि जो हाथ पालने को झुला सकते हैं, तो वो विश्व पर राज भी कर सकते हैं. आज भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं, देश को आगे बढ़ा रही हैं.