New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्मशताब्दी के शुभ अवसर पर 100 के सिक्के का विमोचन किया. इस 100 के सिक्के में राजमाता की तस्वीर बनी हुई है. विमोचन के दौरान पीएम मोदी ने राजमाता की कई बातें बताईं.
पीएम मोदी ने कहा कि राजमाता को पता था कि भविष्य में नारीशक्ति आसमान छू सकती है. नारी शक्ति के बारे में वो विशेष तौर पर कहती थीं कि जो हाथ पालने को झुला सकते हैं, तो वो विश्व पर राज भी कर सकते हैं. आज भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं, देश को आगे बढ़ा रही हैं.
राजमाता जी कहती थी- मैं एक पुत्र की नहीं बल्कि सहस्त्रों पुत्रों की मां हूं.हम सब उनके पुत्र-पुत्रियां ही हैं, उनका परिवार ही हैं.ये मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे राजमाता जी की स्मृति में 100 रुपये के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन करने का मौका मिला.
राजमाता ने खुद देश के लिए जिया.. देश की भावी पीढ़ी के लिए सुख त्यागने वाली #RajmataScindia ने पद और प्रतिष्ठा के लिए ना जीवन जिया ना कभी वो राजनीति का रास्ता चुना. ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए.. लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया..
एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं.. लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया..राजमाता ने साबित किया कि जनप्रतिनिधि के लिए जनसेवा ही सब कुछ है.राजमाता एक राजपरिवार की महारानी थीं, लेकिन उन्होंने संघर्ष लोकतंत्र की रक्षा के लिए किया, जीवन का महत्वपूर्ण कालखंड जेल में बिताया.. आपातकाल के दौरान उन्होंने जो कुछ भी सहा, उसके साक्षी हम लोग हैं.
भारत को दिशा देने वाले व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं. राजमाता केवल वात्सल्यमूर्ति ही नहीं, वो एक निर्णायक नेता और कुशल प्रशासक भी थीं..स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं.
राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं. साधना, उपासना, भक्ति उनके अन्तर्मन में रची-बसी थी..लेकिन जब वो भगवान की उपासना करती थीं, तो उनके मंदिर में एक चित्र भारत माता का भी होता था..भारत माता की भी उपासना उनके लिए वैसी ही आस्था का विषय था. राजमाता ने सामान्य मानवी के साथ, गांव-गरीब के साथ जुड़कर जीवन जिया, उनके लिए जीवन समर्पित किया..राजमाता ने ये साबित किया की जनप्रतिनिधि के लिए राजसत्ता नहीं जनसेवा सबसे महत्वपूर्ण है..