New Delhi: कहते हैं ना कर दिखाओ कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आप के जैसा..कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पुणे के इस डॉक्टर ने. नाम है डॉ मनोहर. इन्होंने कई बाधाओं को पार करते हुए डॉ मनोहर डोले मेडिकल फाउंडेशन के तहत Mohan Thuse Eye hospital नाम से अस्पताल की शुरुआत की है. जिसमें 20 बेड और एक ऑपरेशन थिएटर है.
पिछले 38 वर्षों से, पुणे के पास जुन्नार के मनोहर डोले ने चिकित्सा क्षेत्र में विश्वास की एक चिंगारी जलाई है. जहां रोशनी दी जाती है. नई जिंदगी दी जाती है. यहां लाखों मरीजों का मुफ्त में आंखों का इलाज किया गया है. डॉ मनोहर आदिवासियों की मदद के लिए आगे आए हैं. वह आदिवासियों और गरीबों को मोतियाबिंद, आंखों के ऑपरेशन और अन्य आंखों की बीमारियों का इलाज कराने में मदद करते हैं.

मनोहर डोले कहते हैं, ” हमने पिछले तीन दशकों में लगभग 1.5 लाख मरीजों का इलाज किया है. आयुर्वेद के एक योग्य पेशेवर मनोहर ने 1962 में नारायणगांव से लगभग 90 किलोमीटर दूर पुणे से अपनी पढ़ाई पूरी की. डॉ मनोहर अपने नेक काम से सबका मन मोह रहे हैं. कहते हैं- मैं समाज के सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की सेवा करने के लिए नारायणगाँव चला गया. गाँव में कोई उचित सड़क, बिजली या जल आपूर्ति नहीं थी.
मनोहर ने नासिक-पुणे राजमार्ग पर एक छोटा सा क्लिनिक खोला और मरीजों का इलाज शुरू किया. अपनी चिकित्सा पद्धति के दौरान, उन्होंने देखा कि उनके मरीज अक्सर आदिवासी इलाकों नासिक, ठाणे, अहमदनगर और पुणे से आते थे. डॉक्टर ने रोगियों के इलाज के लिए एक अस्पताल खोलने का फैसला किया।
मेरे पास कोई साधन नहीं था और शुरू में मैंने एक छोटा सर्जरी कक्ष स्थापित करने का फैसला किया। मैंने पुणे के कुछ नेत्र विशेषज्ञों की पहचान की और उनसे मुफ्त में मरीजों का इलाज करने का अनुरोध किया. मनोहर ने मंदिर ट्रस्टों और अन्य सामाजिक संगठनों से धन लेने और सहमति दी

लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी मरीजों को ऑपरेशन के लिए मनाना. कोई भी मरीज इलाज कराने के लिए सहमत नहीं होगा..। बहुतों ने आंखों के ऑपरेशन या सर्जरी के बारे में नहीं सुना था.. उन्हें विश्वास नहीं था कि इस तरह की सर्जरी दृष्टि बहाल करने में मदद कर सकती .आयुर्वेद चिकित्सक ने कहा कि रोगियों को अक्सर महसूस होता है कि पहल के पीछे कुछ घोटाला या छिपी हुई मंशा थी.
कई बाधाओं को पार करते हुए, डॉ मनोहर डोले मेडिकल फाउंडेशन के तहत मोहन थूस आई अस्पताल नाम का अस्पताल, 20 बेड और एक ऑपरेशन थियेटर से शुरू हुआ.हम शिविर लगाते, धीरे धीरे लोगों को भरोसा हुआ और आ हम लोगों का मुफ्त में आंखों का इलाज कर रहे हैं.
मरीजों की जांच के लिए ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में हर हफ्ते चेक-अप शिविर आयोजित किए जाते थे..अस्पताल को सुचारू रूप से चलाने के लिए दस साल लग गए और आर्थिक संघर्ष आसान हो गया..जैसे-जैसे यह फैलता गया, ट्रस्टों, व्यक्तियों, कॉरपोरेट्स और अन्य कंपनियों के कई दान आने लगे..