New Delhi: कोई भी धंधा छोटा नहीं होता, और धंधा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है. आजकल ये डायलॉग हर किसी की जुबान पर है. लेकिन कुछ ही लोग ऐसे हैं जो असल जीवन में इसे उतारते हैं और जिंदगी में कुछ करते हैं.
आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में जानना हर कोई चाहता है. ये एक ऐसी शख्सियत है जिनकी तरह हर कोई बनना चाहता है. ऐसे लोग बहुत कम पैदा होते हैं. गौतम अडानी अपने यंग टाइम से ही देश के युवाओं के लिए कुछ करना चाहते थे.
कॉलेज बीच में ही छोड़ दी. वो कॉलेज ड्रॉपआउट हैं. सिर्फ 100 रुपए लेकर मुंबई आ गए थे. दो वर्ष तक डायमंड का व्रयापार सीखा. फिर सिर्फ 20 वर्ष की उम्र में डायमंड ब्रोकरेज का काम शुरू कर दिया.

बचपन से ही उनका सोचना था कि आगे आने वाली सफलता की राह में केवल एक ही बाधा है. औऱ वो है हमारा खुद पर संदेह करना. उनका मानना था कि कोई समस्या ब़ड़ी तो होती है लेकिन उनका सॉल्यूशन ढूंढकर उन्हें आसानी से खत्म किया जा सकता है.
कुछ वक्त बाद उनके बड़े भाई ने अहमदाबाद में प्लास्टिक यूनिट खरीदा. और इसे गौतम को चलाने कहा औऱ फिर यहां से शुरू हुआ गौतम अडानी का फ्यूचर और वीजन.
जहां उन्हें काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा. जीत किसी को भी कोशिश किए बिना नहीं मिलती. अडानी को ये बात अच्छे से मालूम थी. आप भी अपने जिंदगी में ये नियन लागू कीजिए. भाग्य केवल संयोग पर निर्भर नहीं होता. भाग्य इंतजार करने वाली नहीं बल्कि हासिल करने वाली चीज है.
गौतम अडानी जानते थे भारत ससे अधिक ग्रो कर रहा है. और देखते ही देखते गौतम अडानी एक सफल बिजनेसमैन बन गए वो भी अपने वीजन से. गौतम समझ गए कि भारत में एक्पोर्ट इम्पोर्ट बढ़ने वाला है. और इस तरह अडानी ने अपने बिजनेस को जीरो से शुरू कर मिलियन तक पहुंचा दिया.
अडानी ने साल 1988 में अडानी ग्रुप की शुरूआत की. ये उनकी कठोर मेहनत का ही उदाहरण है. अडानी जोखिम उठाने के लिए ही जाने जाते हैं. आज अडानी का साम्राज्य प्राइवेट पोर्ट से लेकर पावर और कोयले पोर्ट तक फैला हुआ है. उनके पास प्राइवेट जेट से लेकर प्राइवेट रेल लाइन भी है.